kuch sachi bate जिंदगी की कुछ सच्ची और अच्छी बाते
[1]
सही समय का इन्तजार करते करते जिंदगी निकल जाएगी,
अच्छा होगा की समय को सही बनाने की कोशिश करे।
[2]
दोनों ही सफ़र थकन भरे लम्बे और बोझिल हो जाते है,
अगर यात्रा में सामान और जिंदगी से ख्वाहिशे अधिक हो तो।
[3]
कुछ लोगो को लगता है की उनकी चालाकियां मुझे समझ में नहीं आती
मै बड़ा खामोश होकर देखता हु उनको अपनी नजरो से गिरते हुए।
[4]
मौत का आलम देख कर तो जमीन भी दो गज जगह दे देती है ,
फिर यह इंसान क्या चीज है जो जिन्दा रहने पर भी दिल में जगह नहीं देता।
[5]
मै जब किसी गरीब को हँसते हुए देखता हु तो ,
यकीन आ जाता है की खुशियों का ताल्लुक दौलत से नहीं है।
[6]
ये जो छोटे होते है दुकानों, होटलों और वर्कशॉप
पर दरअसल ये बच्चे अपने घर के बड़े होते है।
[7]
किसी ने क्या खूब कहा है अकड़ तो सब में होती है झुकता वही है,
झुकता वही है जिसे रिश्ते की फ़िक्र होती है।
जहाँ प्रेम है वहां जीवन है।
दिल लगाने से अच्छा है कुछ पौधे लगाये,
वो घाव नहीं कम से कम छाया तो देगे।
[10]
जो मागू वो दे दिया कर ये जिंदगी,
तू बस मेरी माँ की तरह बन जा।
दिल में जीने का जज्बा चाहिए,
खुशियाँ उम्र की मोहताज नहीं होती।
सलीका हो अगर भीगी हुई आँखों को पढने का तो फिर
बहते हुए आसू भी अक्सर बात करते है।
[13]
जिंदगी देती नहीं सबको सुनहरे मौके तुझको
अंगूठी मिली है तो नगीना बन जा।
[14]
कभी उस शक्श पर शक मत करो जो तुम
पर खुद से ज्यादा भरोसा करता हो।
[15]
ये चालाकियां कहा मिलती है कोई बताओ यारो,
हर कोई ठग लेता है जरा सा मीठा बोल कर।
[16]
शाम सुरज को ढलना सिखाती है, शम्मा परवाने को जलना सिखाती है;
गिरने वाले को तकलीफ तो होती है मगर, ठोकर इंसान को चलना सिखाती है।
[17]
चलिए जिंदगी का जश्न कुछ इस तरह मानते है,
कुछ अच्छा याद रखते है और कुछ बुरा भूल जाते है।
[18]
उड़ने दो इन परिंदों को आजाद फिजाओ में,
अपने होगे तो लौट आयेगे किसी दिन।
[19]
नखरे तो शिर्फ़ माँ बाप उठाते है,
लोग तो बस उंगलिया उठाते है।
[20]
जीवन न तो भविष्य में है और ना ही अतीत में है जीवन तो
केवल इस पल में है इसी पल का अनुभव ही जीवन है।
[21]
गम न करना कभी जिंदगी में, तकदीर बदलती रहती है,
शीशा वही रहता है बस तस्वीर बदलती रहती है।
[22]
ज़िन्दगी मै भी मुसाफिर हु तेरी कश्ती का,
तू जहा मुझसे कहेगी मै उतर जाऊँगा।
[23]
अंजाम तो मालूम है हर एक को अपना फिर भी,
अपनी नजरो में हर इंसान सिकंदर बना हुआ है।
[24]
उस माँ को भी रोटी के लाले है,
जिसके बेटे चार कमाने वाले है।
[25]
जिंदगी उसके लिए मत गुजारो जिसके लिए तुम जिंदा हो,
बल्कि उसके लिए गुजारो जो तुम्हारी वजह से जिंदा है।
[26]
काँटों पर गुजार देते है सारी जिंदगी
कौन कहता है कि फूलो को कोई गम नहीं होता।
[27]
हर आदमी अपनी जिंदगी मे हीरो होता है
बस कुछ लोग कि फिल्मे relese नहीं होती।
[28]
जिंदगी किसी के लिए नहीं रुकती है बस जीने कि वजह बादल जाती है।
[29]
काश मै लौट जाऊ बचपन कि उस गलियो मे
जहां ना कोई जरूरत थी और ना कोई जरूरी था।
[30]
यूं तो मै दुश्मनों के काफिलो से भी सर उठा कर के गुजर जाता हूँ
बस खौफ तो आफ्नो कि गलियों से गुजरने मे लगता है कि कोई धोखा ना दे दे।
[31]
सलीका हो अगर दर्द को महसूस करने का
तो किसी की खामोशी भी अक्सर बात करती है।
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