sachi bate shayari सच्ची बाते जिंदगी की कुछ सच्ची और अच्छी बाते शायरी

sachi bate shayari सच्ची बाते जिंदगी की कुछ सच्ची और अच्छी बाते शायरी 

When a group of frogs were passing through the forest, two of them fell into a deep pit. When the other frogs crowded around the pit and saw how deep it was, they told the two frogs that there was no hope left for them.

However, the two frogs decided to ignore what the others were saying and tried to get out of the pit.

Despite their efforts, the group of frogs at the top of the pit were still saying they should just leave. that they would never make it out.

[1]
sachi bate shayari

इस जहाँ में कब किसी का दर्द अपनाते है लोग,
रुख हवा का देख कर अक्सर बदल जाते है लोग।

[2]
किसी को मकान किसी के हिस्से में दुकान आई, 
घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई।

[3]
दोस्ती और दुश्मनी मजेदार है,
 बस निभाने का दम होना चाहिए।

[4]
कौन कहता है की छेद आसमा में हो नहीं सकता,
इक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो।

[5]
दिल में  अरमान बहुत है सजाऊं कैसे, तेरी याद बहुत आये, भुलाऊँ कैसे।

[6]
रास्ते को भी दे दोष और आंखे भी कल लाल,
 चप्पल में जो कील है, पहले उसे निकाल।

[7]
सहारा लेना ही पड़ता है मुझको दरिया का मै 
इक कतरा हु तन्हा हो बह नहीं सकता।

[8]
जनम मरण का साथ था जिनका, उन्हें भी हमसे बैर, 
वापिस ले चल बस तो हमें, हो गई जग से बैर।

[9]
मैंने कहा कभी सपनो में भी शक्ल न मुझको दिखाई, 
उसने कहा, मुझ बिन भला तुझको नींद ही कैसे आई।

[10]
उसको रुखसद तो किया था, मुझे मालूम न था,
 सारा घर ले गया, छोड़ के जाने वाला।

[11]
सर पर चढ़ कर बोल रहे है,
 पौधे जैसे लोग पेड़ बने खामोश खड़े है कैसे कैसे लोग।

[12]
कौन कहता है की अल्फाज बेजुबान होते है, 
चुभ जाए गर तो उम्र भर दर्द देते है।

[13]
नमक की तरह हो गई है जिन्दगी, 
लोग स्वादानुसार इस्तेमाल कर लेते है।

[14]
यहाँ मजबूत से मजबूत लोहा टूट जाता है, 
कई झूठे इकट्ठे हो तो सच्चा टूट जाता है।

[15]
चेहरे अजनबी हो भी जाए तो कोई बात नहीं, 
रवैये अजनबी हो जाए तो बड़ी तकलीफ देते है।

[16]
कोई इसके साथ है, कोई उसके साथ है,
 देखना ये है, मैदान किसके साथ है।

[17]
मेहेरबान होकर बुला लो मुझे जिस वक्त 
मै गया वक्त नहीं कि फिर आ भी ना सकू।

[18]
ख़त पे ख़त हमने भेजे पर जवाब आता नहीं, 
कौन सी एसी खता हुयी मुझको याद आता नहीं।

[19]
फिर उड़ गई नींद ये सोच कर कि 
 सरहद पर बहा वो खून मेरी नींद के लिए था। 

[20]
इश्क़ कर लीजिये बहोत इन किताबों से एक यही है 
जो अपनी बातों से पलटा नहीं करती है। 

[21]
आप जिसपर आंख बंद करके भरोसा करते है 
अक्सर वही आप कि आंखे खोल जाता है !

[22]
कभी कभी जिंदगी इस कदर तन्हा बना देती है कि हमे जिंदगी से 
प्यारी मौत लगने लगती है। 

[23]
फिर से मुझे मिट्टी मे खेलने दे ए जिंदगी 
ये साफ सुथरी जिंदगी उस मिट्टी से ज्यादा साफ गंदी है। 

[24]
गलत लोग सभी के जीवन मे आते है लेकिन सीख हमेशा सही देकर जाते है। 

[25]
मै किसी से बेहतर करू, क्या फर्क पड़ता है!
मै किसी का बेहतर करू बहुत फर्क पड़ता है। 

[26]
दिलो मे खोट है और जुबा से प्यार करते है,
बहुत से लोग दुनिया मे यही व्यापार करते है। 

[27]
कोई हालात नहीं समझता तो कोई जज़्बात नहीं समझता,
ये अपनी अपनी समझ कि बात है कोई कोरा कागज भी पढ़ लेता है तो कोई 
पूरा किताब नहीं समझता। 

[28]
जीवन का सबसे बड़ा उपयोग 
इसे किसी एसे चीज मे लगाने मे है जो इसके बाद भी रहे। 

[29]
थोड़ी सजा उन्हे भी दे देती ये जिंदगी 
जिनकी वजह से गरीब लोग सड्को पर सोते है।

[30]
जिंदगी मे ब्रांडेड चीजे ही इस्तेमाल करने वाले 
एक बात याद रखना कि कफन का कोई ब्रांड नहीं होता।

[31]
'' sachi bate shayari ''
sachi bate shayari

करीब इतना रहो कि रिश्तो में प्यार रहे, दूर भी इतना रहो कि आने का इन्तजार रहे, 
रखो उम्मीद रिश्तो के दरमियान इतनी, कि टूट जाए उम्मीद मगर रिश्ते बरक़रार रहे।

sachi bate shayari सच्ची बाते जिंदगी की कुछ सच्ची और अच्छी बाते शायरी 

मेंढकों का समूह-
जब मेंढकों का एक समूह जंगल से गुजर रहा था, उनमें से दो गहरे गड्ढे में गिर गए। जब दूसरे मेंढकों ने गड्ढे के चारों ओर भीड़ लगाई और देखा कि यह कितना गहरा है, तो उन्होंने दो मेंढकों से कहा कि उनके लिए कोई उम्मीद नहीं बची है।

हालांकि, दो मेंढकों ने यह अनदेखी करने का फैसला किया कि अन्य क्या कह रहे थे और उन्होंने गड्ढे से बाहर निकलने की कोशिश की।

उनके प्रयासों के बावजूद, गड्ढे के शीर्ष पर मेंढकों का समूह अभी भी कह रहा था कि उन्हें बस छोड़ देना चाहिए। कि वे इसे कभी बाहर नहीं करेंगे।

आखिरकार, मेंढक में से एक ने इस बात पर ध्यान दिया कि दूसरे क्या कह रहे थे और उसने हार मान ली, जिससे उसकी मौत हो गई। दूसरे मेंढक ने उतनी ही मुश्किल से कूदना जारी रखा जितना वह कर सकता था। फिर से, मेंढकों की भीड़ दर्द को रोकने के लिए उस पर चिल्लाया और बस मर गया।

वह और ज़ोर से कूदा और आखिकार कर दिखाया। जब वह बाहर निकला, तो दूसरे मेंढकों ने कहा, "क्या तुमने हमें नहीं सुना?"

मेंढक ने उन्हें समझाया कि वह बहरा था। वह सोचता है कि वे उसे पूरे समय तक प्रोत्साहित कर रहे थे।

कहानी की शिक्षा:
लोगों के शब्दों का दूसरे के जीवन पर बड़ा प्रभाव हो सकता है। अपने मुंह से निकलने से पहले आप जो कहते हैं, उसके बारे में सोचें। यह सिर्फ जीवन और मृत्यु के बीच का अंतर हो सकता है।

अंधा घोड़ा -
शहर के नज़दीक बने एक farm house में दो घोड़े रहते थे. दूर से देखने पर वो दोनों बिलकुल एक जैसे दीखते थे , पर पास जाने पर पता चलता था कि उनमे से एक घोड़ा अँधा है. पर अंधे होने के बावजूद farm के मालिक ने उसे वहां से निकाला नहीं था बल्कि उसे और भी अधिक सुरक्षा और आराम के साथ रखा था. 

अगर कोई थोडा और ध्यान देता तो उसे ये भी पता चलता कि मालिक ने दूसरे घोड़े के गले में एक घंटी बाँध रखी थी, जिसकी आवाज़ सुनकर अँधा घोड़ा उसके पास पहुंच जाता और उसके पीछे-पीछे बाड़े में घूमता. घंटी वाला घोड़ा भी अपने अंधे मित्र की परेशानी समझता, वह बीच-बीच में पीछे मुड़कर देखता और इस बात को सुनिश्चित करता कि कहीं वो रास्ते से भटक ना जाए. वह ये भी सुनिश्चित करता कि उसका मित्र सुरक्षित; वापस अपने स्थान  पर पहुच जाए, और उसके बाद ही वो अपनी जगह की ओर बढ़ता.

दोस्तों, बाड़े के मालिक की तरह ही भगवान हमें बस इसलिए नहीं छोड़ देते कि हमारे अन्दर कोई दोष या कमियां हैं.  वो हमारा ख्याल रखते हैं और हमें जब भी ज़रुरत होती है तो किसी ना किसी को हमारी मदद के लिए भेज देते हैं. कभी-कभी हम वो अंधे घोड़े होते हैं, जो भगवान द्वारा बांधी गयी घंटी की मदद से अपनी परेशानियों से पार पाते हैं तो कभी हम अपने गले में बंधी घंटी द्वारा दूसरों को रास्ता दिखाने के काम आते हैं.


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